अम्बेडकर जयंती [हिन्दी] का मुख्य बिंदु
- भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती
- केंद्र सरकार ने हमेशा की तरह सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया।
- भारत में कॉमरेड के वैज्ञानिक विचारों की समीक्षा आज भी दिखती है
- समाज सुधारक हैं, संत पापा राम जी महाराज के अनेगुए में
प्रगतिशील समाज के पुरोधा डॉ. भीमराव कॉम का परिचय
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डॉ. बॉम्बे का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में हुआ था। कोम्बम जी एक मेधावी विद्यार्थी थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की और लंदन स्कूल ऑफ आर्ट्स से डी.एससी. की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावा लंदन स्कूल ऑफ आर्ट्स से लॉ की पढ़ाई करने के बाद वे भारत में आयातित और वैध लागे। उन्होंने समुदाय पर आपत्ति जताने की काफी कोशिश की। साथ ही जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई गई और शिक्षा और रोजगार के अवसरों के लिए अपना सर्वस्व जीवन समर्पित किया गया। एक दलित समाज से स्वयं को सिद्ध करते हुए आगे बाबा ग्यान साहेब ने जातिवाद को ठेंगा दिखाया था। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ और अजातशत्रु के हक में आवाज उठाई। इतना ही नहीं भारतीय संविधान के बारे में जानने के लिए कहा जाता है क्योंकि उस समय डॉ. कॉम के अतिरिक्त भारतीय संविधान की रचना के लिए कोई अन्य विशेषज्ञ ही नहीं था।
डॉक्टर से कोम को ड्राफ्ट समिति का अध्यक्ष चुना गया। सरकारी छूटों से लेकर बौद्ध विहारों में भी जयंती मनाई जाती है। कम्युनिस्ट पार्टी के संघर्ष के बड़े नेता रह रहे हैं, नॉर्थ ईस्ट का पक्ष लिया गया और वर्षों से चली आ रही रूढ़िवादी विचारधारा को जोर से खत्म किया गया।
डॉ. अम्बेडकर की संघर्ष गाथा
अम्बेडकर जयंती 2025 हिंदी में : डॉ. भीमराव कॉम का संघर्ष गैलेक्सी केवल बंद छुट तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई स्तरों पर स्कॉटलैंडछूट का सामना किया, और इसे उखाड़ फेंकने का प्रयास किया। कोम ने केवल अपना नहीं बल्कि महिलाओं और पुरुषों के पक्ष में बहुत से काम किए, अधिकार दिलवाए और उन्हें प्रेरित किया।
बैचलर बैचलर डिग्री प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय बने। कॉम के पास 10 से अधिक डिग्रियां थीं। संविधान निर्माण में अहम भूमिका के साथ ही 1935 में रिज़र्व बैंक के निर्माण में भी अहम भूमिका अदा की गई। परमाणु बम एक रूढ़िवादी, अर्थशास्त्री और सैद्धांतिक रहे हैं।
अम्बेडकर जयंती हिंदी में | बम के विचार आज भी असफलता
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कोलंबिया जयंती 2025 : कोलंबिया के विचार प्रगतिशील थे जो आज भी कच्चे माल हैं तब थे। तर्क उनका मुख्य क्षेत्र था और उन्होंने किसी भी तरह के सिद्धांत को बिना तर्क के स्वीकार करने से मना कर दिया। उन्होंने जो संघर्ष किया वह आज भी चल रहा है। उन्होंने तालीम और संगति होने की अलख जगाई। कोलम्बिया जयंती में विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाएँ और कॉमर्स की स्मृति में जश्न मनाया जाता है। कॉम अब भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। भीमराव बाम समाज द्वारा हित में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को याद किया जाता है। आज के दिन विभिन्न कार्यक्रम एवं संगोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं।
बाबा साहब बाबा उनका और संवैधानिक योगदान
- डॉ. भीमराव अंबेडकर ने आर्थिक समस्याओं को दूर करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किया। उन्होंने 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना के लिए कई उद्यमियों का नेतृत्व किया और इसका विरोध किया।
- कोलम ने स्कॉटलैंड के लिए अलगाव क्षेत्र के ब्रिटिश प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने अलग-अलग जहाज़ क्षेत्रों के स्थानों पर स्थापत्य व्यवस्था की, उद्देश्य शिक्षा और सरकारी स्वामित्व में समान अवसर प्रदान करना था।
- भारतीय संविधान की रचना समिति के अध्यक्ष के रूप में, कॉलम ने संविधान में स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और भूमित्व के आदर्शों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संविधान में अध्ययन के लिए कुरीतियों को ख़त्म करने की सलाह दी।
सामाजिक सरोकार को दूर करके दलित मुसलमानों की प्रतिष्ठा
समाज में कितनी बातें थीं और कितनी आज ये स्पष्ट है। आज संविधान है लेकिन तब तो संविधान भी नहीं था। कॉम ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि किस प्रकार की सामाजिक विषमताएँ होती हैं और किस तरह का भेदभाव होता है।
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■ यह भी पढ़ें: अम्बेडकर पुण्य तिथि (महापरिनिर्वाण दिवस): सतभक्ति करने से मिलेगा मोक्ष
हालाँकि सालों बाद भी बहुत कुछ बदलाव नहीं आए थे और आज भी कई बैकस्टॉप पर हम इसे देख सकते हैं। आज वाल्मिकी वाल्मिकी समूह में भी शीर्ष पर दलित साहित्यकार वाले लेखक हैं, हमारे सामने प्रमाणिक लेख हैं, हमारे समाज की स्टॉलछूट का नग्न चित्रण उनके सामने रखा गया है।
अम्बेडकर जयंती हिंदी में: अम्बेडकर ने अज्ञानता वश बौद्ध धर्म को महत्व दिया
कुंभ जयंती 2025 : ओबामा समर्थक के पक्षधर थे और उन्होंने बौद्ध धर्म को महत्व दिया।बौद्ध धर्मयह लाभकारी है लेकिन यह सही साधना नहीं है। केवल तपस्या करने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती और न ही समाज में शांति मिल सकती है। भले ही धर्म हैं लेकिन मोक्ष का मार्ग एक ही है और वह प्रत्येक मानव जाति के लिए मार्ग खोलता है। मोक्ष के बिना गुरु की संभावना नहीं और यह ज्ञान केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
अम्बेडकर जयंती (अंबेडकर जयंती) 2025 उद्धरण हिंदी में
मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधनत्व सिखाता है।”
“मैं एक समुदाय की प्रगति को कितने डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल किया है।”
“वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं।”
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“शिक्षित बनो, संयुक्त रहो और बेवकूफ बनो।”–
“धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए।”
“मनुष्य नश्वर है, वैसे ही विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की आवश्यकता होती है, जैसे कि एक साधन को पानी की, न तो दोनों मुर्झाकर मर जाते हैं।”
“एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से इस तरह अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनकर तैयार रहता है।”
“समानता एक काल्पनिक हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक काल्पनिक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाएगा।”
“बुद्धि का विकास मानव की उपलब्धि का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।”
“मानता एक काल्पनिक हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक काल्पनिक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाएगा।”
संत रामपाल जी महाराज ने समाप्ति की समाप्ति की
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संविधान निर्माण हुआ। अधिकार की लड़इयाँ लड़कियाँ चली गईं। रेलियाँ निकलीं। कानून सामने लाये गये और तलाक को झकझोर कर उनके अधिकारों की प्रति जगाया गया। सरकारी आगे आया। लेकिन क्या बोल्टन खत्म हो गया? क्या सामाजिक भेदभाव का नामोनिशान मिट सका? क्या आज भी चमार पट्टियाँ के लोग बाबू पट्टियाँ में बखत घूम सकते हैं? किस देश के हर गांव में जातिगत भेदभाव ख़त्म हो सका? अपनाए जाने वाले जातिगत अहित समाज से हटे के लिए क्या करें? हम निश्चित रूप से उत्तर नहीं दे सकते। दरअसल ये साडी चीजें जो नहीं हो पाईं उन्होंने संतराम जी महाराज जी का तत्वज्ञान दिया है। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान का आधार “जीव हमारी जाति है”।